Tuesday, March 18, 2014

****** आम का मुखोटा ******
पहले लूटा हमें खाश बनकर ,
अब आये पहन कर आम का मुखोटा। 

बार बार बदलता है व्यान अपने ,
सीधा नहीं रह सकता बिन पेंदी का लौटा। 

इसकी मीठी बातो मै इस बार फिर फसे ,
समझलो फिर भाग्य हमारा फूटा। 

कितने घोटाले किये जनता ने नाकारा इन्हे,
किन्तु कुर्सी का मोह ना इनसे छूटा। 

पहले लूटा हमें खाश बनकर ,
अब आये पहन कर आम का मुखोटा। 

जितेन्द्र दीक्षित
*********सियासत मै***********
नौकरी छोड़ी बड़े सपनो कि आदत मै,
दिल्ली छोड़ के भागा दिल्ली कि चाहत मै। 
धर देता है धरना कंही भी वागी है ,
शक होता है मुझे इसकी वगबत मै। 
लगा देता है मनगढंत आरोप किसी पर भी ,
लोग फस जाते है नकली शराफत मै। 
जिन्हे गाली दे दे कर ये नेता बना ,
उनकी गोद मै बैठ कर कहेगा चलता है सियासत मै। 

जितेन्द्र दीक्षित। 

Saturday, March 7, 2009

आंशु बहाने नहीं दूंगा

चेहरे पैर उदासी को छाने नहीं दूंगा,
बेबशी का गीत मुक्कदर को गाने नहीं दूंगा.
बचपन से जो लुटा रहे है लोग,
उनको और खुशिया लुटाने नहीं दूंगा.
देना चाहते है जो मेरे जीवन को रौशनी,
उनकी आँखों को आंशु बहाने नहीं दूंगा.
तुम चले जयो तुम को जाना है जन्हा,
चाहत की परधि से बहार जाने नहीं दूंगा.
जितेन्द्र दिक्सित.

Thursday, February 26, 2009

umeed

tum mujhe ek umeed de gaye ho,
aur umeed ko toda nahi jata.
ye dil ka rista khud judta hai,
isko dost joda nahi jata.
rasta to katin hai ye mere humsafar,
magar bech se kadmo ko moda nahi jata.
tum ko pana log kahte hai meri jid hai,
magar is jid ko bhi choda nahi jata.