*********सियासत मै***********
नौकरी छोड़ी बड़े सपनो कि आदत मै,
दिल्ली छोड़ के भागा दिल्ली कि चाहत मै।
धर देता है धरना कंही भी वागी है ,
शक होता है मुझे इसकी वगबत मै।
लगा देता है मनगढंत आरोप किसी पर भी ,
लोग फस जाते है नकली शराफत मै।
जिन्हे गाली दे दे कर ये नेता बना ,
उनकी गोद मै बैठ कर कहेगा चलता है सियासत मै।
जितेन्द्र दीक्षित।
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